In the Hindu religion, “Angarki Chaturthi” is an extraordinary and holy day for the devotees of Ganpati Maharaj & Hanuman ji. On the Angarki Chaturthi Hanuman ji with Ganesh ji are worshiped by many devotees to destroy Manghal Dosh. According to Hindu mythology, everyone should perform this Angarki Chaturthi Pooja in 2024 by reading Puja Vidhi, Vrat/ Katha, etc. Well, this blog helps a lot for those devotees who perform this pooja first time, here they get every detail about the Angarika Chaturthi Date 2024.
Angarki Chaturthi Date 2024
The monthly Chaturthi is regarded as having particular significance in Hinduism. It is mandatory to worship Lord Ganesha on the day of Angarika Chaturthi (अंगारकी चतुर्थी). Following this, Arghya is offered to the moon to break the fast. Angarki Chaturthi is observed on Tuesdays when this Chaturthi falls on a Tuesday. This fortunate coincidence is occurring once more. The fasting date for Angarika Chaturthi is June 25, 2024.
Mangal Dosh finds respite on this day if Hanumanji is tilaked with vermilion during the worship of Ganeshji. As per the Narada Purana, worshiping Lord Ganpati and Hanuman on this Angarika Chaturthi offered to open the door for happiness and good fortune and freedom from obstacles and obstacles coming into the house and family. Well, during the Angarki Chaturthi Pooja, you must follow the Puja Vidhi, and read Vrat Katha. If you don’t know the important aspects of the Angarki Chaturthi Date 2024, Muhurat, and Chandrodaya Time then read this article ahead. Here we will share all the details about अंगारकी चतुर्थी तिथि और चंद्रोदय समय 2024 in the below section.
Angarika Chaturthi 2024 Tithi, Muhurat, Chandrodaya Time – Overview
Angarki Chaturthi Date | 25 June 2024, Tuesday |
Sankashti Chaturthi Name | Krishnapingala Sankashti Chaturthi |
Tithi Starts | 01:23 AM on June 25, 2024 |
Tithi Ends | 11:10 PM on June 25, 2024 |
Chandrodaya Time | Time 10:27 PM |
Angarika Chaturthi Vrat Puja Vidhi in Hindi (अंगारकी चतुर्थी व्रत पूजा विधि हिंदी)
श्री गणेश चतुर्थी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। इसके बाद घर के मंदिर में गणेश प्रतिमा को गंगा जल और शहद से स्वच्छ करें। सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, प्रसाद आदि चीजें एकत्रित करें। धूप-दीप जलाएं।
- ‘ॐ गं गणपते नमः मंत्र का जाप करते हुए पूजा करें। मंत्र जाप 108 बार करें।
- गणेश जी के सामने व्रत करने का संकल्प लें और पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें। व्रत में फलाहार, पानी, दूध, फलों का रस आदि चीजों का सेवन किया जा सकता है।
- गणपति की स्थापना के बाद इस तरह पूजन करें:-
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- – सबसे पहले घी का दीपक जलाएं। इसके बाद पूजा का संकल्प लें।
- – फिर गणेश जी का ध्यान करने के बाद उनका आह्वन करें।
- – इसके बाद गणेश को स्नान कराएं। सबसे पहले जल से, फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) और पुन: शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- – गणेश के मंत्र व चालीसा और स्तोत्र आदि का वाचन करें।
- – अब गणेश जी को वस्त्र चढ़ाएं। अगर वस्त्र नहीं हैं तो आप उन्हें एक नाड़ा भी अर्पित कर सकते हैं।
- – इसके बाद गणपति की प्रतिमा पर सिंदूर, चंदन, फूल और फूलों की माला अर्पित करें।
- – अब बप्पा को मनमोहक सुगंध वाली धूप दिखाएं।
- – अब एक दूसरा दीपक जलाकर गणपति की प्रतिमा को दिखाकर हाथ धो लें। हाथ पोंछने के लिए नए कपड़े का इस्तेमाल करें।
- – अब नैवेद्य चढ़ाएं। नैवेद्य में मोदक, मिठाई, गुड़ और फल शामिल हैं।
- – इसके बाद गणपति को नारियल और दक्षिण प्रदान करें।
- – आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की शुभ चतुर्थी की कथा करें।
- – अब अपने परिवार के साथ गणपति की आरती करें। गणेश जी की आरती कपूर के साथ घी में डूबी हुई एक या तीन या इससे अधिक बत्तियां बनाकर की जाती है।
- – इसके बाद हाथों में फूल लेकर गणपति के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करें।
- – अब गणपति की परिक्रमा करें। ध्यान रहे कि गणपति की परिक्रमा एक बार ही की जाती है।
- – इसके बाद गणपति से किसी भी तरह की भूल-चूक के लिए माफी मांगें।
- – पूजा के अंत में साष्टांग प्रणाम करें।
- – पूजा के बाद घर के आसपास जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें।
- – गाय को रोटी या हरी घास दें। किसी गौशाला में धन का दान भी कर सकते हैं।
- – रात को चंद्रमा की पूजा और दर्शन करने के बाद यह व्रत खोलना चाहिए।
- – शाम को चंद्रमा निकलने से पहले गणपति जी की एक बार और पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का फिर से पाठ करें। अब व्रत का पारण करें। Angarki Sankashti Pujan Vidh
Angarki Chaturthi Vrat Katha (अंगारकी चतुर्थी व्रत कथा)
पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि भारद्वाज और देवी पृथ्वी के पुत्र का नाम मंगल था। मंगल ने अपने पिता की आज्ञा से मात्र सात वर्ष की आयु से भगवान गणेश की कठोर तपस्या आरम्भ कर दी थी। उस बालक ने भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिये वर्षों तक कठोर तप किया, निराहार रहा। उसकी इस श्रद्धा और भक्ति को देखकर भगवान गणेश प्रसन्न हो गये और उन्होने मंगल को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन दर्शन दियें।
भगवान गणेश ने पृथ्वी पुत्र को दर्शन देकर वरदान मांगने के लिये कहा। धरती पुत्र ने भगवान गणेश से सदैव उनकी शरण में रहने के साथ स्वर्ग में देवताओं से समकक्ष पद पाने की इच्छा व्यक्त करी। तब भगवान गणेश ने उनकी मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया और कहा तुम्हे स्वर्ग में देवताओं के समान सम्मान प्राप्त होगा। तुम मंगल और अंगारक नाम से प्रसिद्ध होंगे। मंगलवार के दिन आने वाली संकष्टी चतुर्थी को तुम्हारे नाम अर्थात अंगारकी चतुर्थी के नाम से जाना जायेगा और इसका व्रत एवं पूजन करने से साधक को वर्ष की सभी संकष्टी चतुर्थी के व्रत का पुण्य लाभ होगा। ऐसा कहकर भगवान गणेश अंतर्ध्यान हो गये।
संकष्टी चतुर्थी का यह व्रत बहुत ही दुर्लभ है और इसकी महिमा अपरमपार हैं। इसका व्रत करने से जातक की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। भगवान गणेश जी कृपा से उसे सुख-शांति, धन-समृद्धि व आरोग्य की प्राप्ति होती हैं।