Ahoi Ashtami falls in Kartik month and is followed by women. Ahoi Ashtami Vrat is important for women who wish long life and the safety of their children. Mother of Hinduism followed “अहोई अष्टमी 2024 व्रत” and remained waterless through the day. You have to warship अहोई माता with entire intention after taking bath. You have to read the story of Ahoi Mata in front of children so that they can understand. Then look stars and your Vrat is complete. Now you can break your fast by eating food and Prashad. Many new women do not know about this Vrat, So here we have shared the direct link to download the Ahoi Ashtami 2024 Vrat Katha in PDF format to know the importance of this Vrat.
Ahoi Ashtami 2024 Vrat Katha PDF
This is a Hindu festival celebrated on Krishna Paksha Ashtami before 8 days of Diwali. It is most followed in North India. As per the Purnimant calendar, Ahoi Ashtami falls in Kartik month. As per the Amanta calendar, Ahoi Ashtami falls in Ashvin month. This calendar is generally used in Gujarat, Maharastra, and a few southern states. You need to follow specific timing for Ahoi Ashtami 2024 to complete it successfully.
The important part of the Ahoi Ashtami is the incredible and pure story of Mata Ahoi. You have to follow Puja Vidhi to get the blessing of Mata Ahoi. This fasting and Puja is dedicated to Goddess Ahoi. Ahoi Mata is a form of Goddess Lakshmi. If you want to make your children’s lives safe and long then follow Ahoi Vrat. To know more about the अहोई अष्टमी 2024 व्रत कथा PDF, अहोई माता पूजा विधि, आरती और शुभ मुहूर्त then you should follow this article ahead. You will get each point of Ahoi Ashtami 2024.
अहोई अष्टमी 2024 व्रत कथा पीडीएफ Download – Overview
PDF Name | अहोई माता व्रत कथा |
Download PDF | Ahoi Ashtami 2024 Vrat Katha PDF Hindi |
Pages | 1 |
Uploaded By | Darshanbooking.in |
Size | 44 Kb |
Year | 2024 |
Language | Hindi |
Category | Religion and Spirituality |
Ahoi Ashtami 2024 Puja Vidhi – पूजा विधि
1) Sankalp
You have to wake up early in the morning and take a bath. Now stand up in front of a photo or deity of Ahoi Mata and take a pledge of Vrat. After the pledge, you can not drink water. You can break your fast after sighting the stars or moon after reading Katha.
2) Ahoi Mata Puja
Sandhya time is best for performing Puja rituals. There is a simple pooja Vidhi where you have to read the story of Ahoi Mata in front of all family members including children. There are many Ahoi Ashtami legends but the most narrated version is, how seven children get blessed by Ahoi mata after getting cursed for accidentally killing the offspring of Sei. Sei is also worshiped.
Aarti of Ahoi Ashtami (अहोई माता की आरती)
At the end of the Puja, you have to start performing Aartu. Give Argha to the moon or stars before breaking fast.
जय अहोई माता,
जय अहोई माता ।
तुमको निसदिन ध्यावत,
हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमला,
तू ही है जगमाता ।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥माता रूप निरंजन,
सुख-सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत,
नित मंगल पाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥तू ही पाताल बसंती,
तू ही है शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव प्रकाशक,
जगनिधि से त्राता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥जिस घर थारो वासा,
वाहि में गुण आता ।
कर न सके सोई कर ले,
मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥तुम बिन सुख न होवे,
न कोई पुत्र पाता ।
खान-पान का वैभव,
तुम बिन नहीं आता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥शुभ गुण सुंदर युक्ता,
क्षीर निधि जाता ।
रतन चतुर्दश तोकू,
कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय अहोई माता ॥श्री अहोई माँ की आरती,
जो कोई गाता ।
उर उमंग अति उपजे,
पाप उतर जाता ॥ॐ जय अहोई माता,
मैया जय अहोई माता ।
Ahoi Ashtami 2024 Subh Muhurat
- अहोई अष्टमी प्रारंभ तिथि => सोमवार, 17 अक्टूबर 2024 (9:29 AM)
- अहोई अष्टमी तिथि समाप्त => मंगलवार, 18 अक्टूबर 2024 (11:57 AM)
- अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त => 06:40 PM से 07:28 PM
- अवधि (पूजा का समय) => 01 घण्टा 14 मिनट
- तारों को देखने के लिए सांझ का समय => 06:36 PM
- अहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय => 12:06 PM (अक्टूबर 18)
अहोई अष्टमी Vrat Katha PDF In Hindi- Full Story
प्राचीन काल में एक साहुकार था। उसके घर में उसकी 7 बहुएं रहती थी। दिवाली के दिन उसकी एकलौती लड़की भी अपने मायके आई हुई थी। एक दिन सभी बहुएं दिवाली पर घर को मिट्टी से लीपने के लिए मिट्टी लेने जंगल गई। उनके साथ उनकी ननंद भी गई थी। साहुकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी वहां एक साही का लड़का खेल रहा था।
साहू की बेटी से गलती से खुरपी के चोट से साही के बेटे की मौत हो गई। साही इतनी क्रोधित हुई कि उसने साहूकार की बेटी की कोख बांधने की बात कही।
वचन सुनकर साहुकार की बेटी सभी भाइयों से अपने बदले कोख बंधवाने के लिए प्रार्थना की। उसकी सबसे छोटी भाभी इस बात के लिए राजी हो गई। अब उसके जब भी कोई बच्चा होता तो 7 दिन बाद मर जाता था। ऐसे ही उसके 7 पुत्रों की मौत हो गई। इसके बाद उसने पंडित की सलाह ली तो पंडित ने कहा कि सुरही गाय की सेवा करने से ही लाभ मिलेगा।
सुरही उस महिला की सेवा से खुश हुई और उसे स्याहु के पास लेकर गई। रास्ते में जब दोनों थक गए तो पानी पीने रुके। इतनें में साहुकार की छोटी बहू की नजर एक गरूड पंखनी पर पड़ी जिसे सांप डंसने जा रहा था। वह फौरन वहां पहुंची और सांप को मार दिया। जब गरूड पंखनी की मां वहां पहुंची तो वर साहुकार की बेटी पर ही चोंच मारने लगी। जब बहू ने बताया कि उसके बच्चे की जान उसी ने बचाई है तो वह खुश हो गई। अपने पंख पर बिठाकर उन्हें स्याहु तक पहुंचा दिया।
स्याहु ने छोटी बहु की ये सेवा देखी और प्रसन्न हो गई। प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहु होने का अशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहु का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा भरा हो गया।